Join WhatsApp Group Join Now
Join Telegram Group Join Now

अमेरिका ने भारत में सोलर पैनल पर लगाया प्रतिबंध, जानिए क्या है पूरा मामला

भारत के सोलर पैनल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उद्योग के लिए यह एक बड़ा झटका है। अमेरिका ने हाल ही में भारत से आने वाले सोलर पैनल्स और उससे जुड़े उपकरणों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध व्यापारिक और नैतिक दोनों कारणों से लगाया गया है, जिससे भारत की सोलर इंडस्ट्री को नुकसान हो सकता है। आइए, जानते हैं इस पूरे मामले की विस्तार से जानकारी और समझते हैं कि यह प्रतिबंध क्यों लगाया गया है और इसके पीछे की वजहें क्या हैं।

America Bans Solar Panels in India

अमेरिका का प्रतिबंध क्यों?

अमेरिका ने यह प्रतिबंध 2022 के जबरन मजदूरी से बने सामानों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून (UFLPA) के तहत लगाया है। इस कानून के अनुसार, अमेरिका उन देशों से आयात किए गए सामानों पर प्रतिबंध लगाता है, जिन देशों में जबरन मजदूरी का इस्तेमाल होता है। चीन के शिनजियांग क्षेत्र में उइगर मुस्लिमों के साथ हो रहे बर्ताव और जबरन मजदूरी को लेकर यह कानून पहले चीन पर लागू किया गया था। अब, इसी कानून के तहत भारत के कुछ सोलर पैनल्स और उनसे जुड़े उपकरणों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

चीन का भी है इसमें योगदान

अमेरिकी प्रतिबंधों का मुख्य कारण चीन के शिनजियांग क्षेत्र में जबरन मजदूरी का इस्तेमाल है। शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं, जिसमें उन्हें जबरन मजदूरी करने के लिए मजबूर किया जाता है। चीन ने इस आरोप से हमेशा इनकार किया है, लेकिन अमेरिका ने चीन के इस क्षेत्र से आने वाले सामानों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

अब, भारत के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है, क्योंकि अमेरिका का मानना है कि भारतीय उत्पादों में कुछ कच्चे माल चीन से आते हैं, जिनमें पॉलीसिलिकॉन जैसे सोलर पैनल्स के लिए महत्वपूर्ण सामग्री शामिल हैं। अमेरिका की ट्रेड एजेंसी ने भारत से आने वाले लगभग 43 मिलियन डॉलर के सोलर पैनल्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के शिपमेंट को अक्टूबर 2023 से रोक दिया है।

भारतीय सोलर इंडस्ट्री पर असर

भारत की सोलर इंडस्ट्री को इस प्रतिबंध से बड़ा झटका लगा है। भारत के सोलर पैनल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ रहे थे और अमेरिका जैसे बड़े बाजार में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे थे।

भारतीय उत्पादकों के लिए यह प्रतिबंध एक बड़ा नुकसान है, क्योंकि वे चीनी कंपनियों पर लगे टैरिफ और प्रतिबंधों के बाद अमेरिकी सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए एक विकल्प के रूप में उभर रहे थे। अमेरिका में सोलर एनर्जी की मांग बढ़ रही है, और भारत इसके लिए एक प्रमुख सप्लायर बन सकता था।

क्या होगा आगे?

अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रतिबंध कितने समय तक चलेगा, लेकिन भारतीय कंपनियां अब अमेरिकी मार्केट में अपनी पहुंच बनाए रखने के लिए विकल्प ढूंढने में जुटी हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपने उत्पादन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और नैतिक बनाना होगा, ताकि वह जबरन मजदूरी से जुड़े किसी भी आरोप से बच सके। इसके अलावा, भारत को अपनी सप्लाई चेन को भी चीन से हटाकर अन्य देशों से जोड़ने पर ध्यान देना होगा।

क्या है अमेरिका की प्रतिक्रिया?

अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (CBP) ने इस मामले पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रतिबंध का मुख्य कारण जबरन मजदूरी से बने सामानों की रोकथाम है।

सीबीपी का कहना है कि उन्होंने भारतीय सोलर पैनल्स के लगभग एक तिहाई शिपमेंट को रोक दिया है, जबकि अन्य देशों जैसे मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड से आने वाले सोलर उपकरणों के केवल 5.4% शिपमेंट को रोका गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका भारत से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर ज्यादा सख्ती से नजर रख रहा है।

यह भी पढ़े – 👉 फ्री सोलर रूफटॉप के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

👉 बिना बैटरी के 1kw सोलर सिस्टम लगाए, सब्सिडी के बाद करना पड़ेगा बस इतना सा खर्चा!

Join WhatsApp Group Join Now
Join Telegram Group Join Now

Leave a Comment