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आख़िरकार सोलर पैनल कैसे सूरज की रोशनी से जनरेट कर पाते है इतनी हाई वोल्टेज बिजली, समझे पूरी प्रोसेस  

सोलर पैनल आजकल हर जगह देखे जा सकते हैं। चाहे वो घर की छत हो, ऑफिस की बिल्डिंग या खेत की जमीन। यह सोलर पैनल सूरज की रोशनी से बिजली जनरेट करते हैं और हमारे बिजली के बिल को काफी हद तक कम कर देते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि वो सोलर पैनल जो आपके घर की छत पर लगे हैं, कैसे इतनी सारी बिजली पैदा कर लेते हैं? आइए जानते हैं इस अमेजिंग टेक्नोलॉजी के बारे में, जो हमारे फ्यूचर को ग्रीन बना रही है!

solar panel convert sunlight into electricity

सोलर पैनल का बेसिक काम: फोटोवोल्टिक इफेक्ट

सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि सोलर पैनल असल में कई सारे छोटे-छोटे सोलर सेल्स से मिलकर बने होते हैं। यह सेल्स सिलिकॉन नाम के एक स्पेशल मटेरियल से बनाए जाते हैं। जब सूरज की रोशनी इन सेल्स पर पड़ती है, तो एक मजेदार प्रोसेस शुरू हो जाता है जिसे फोटोवॉल्टिक इफेक्ट कहते हैं।

इस प्रोसेस में, सूरज की रोशनी सिलिकॉन के अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉन्स को एक्साईट कर देती है। यह एक्साइटेड इलेक्ट्रॉन्स अपनी जगह से निकलकर मूवमेंट शुरू कर देते हैं और यही मूवमेंट इलेक्ट्रिक करंट बन जाती है। मतलब, सूरज की रोशनी सीधे बिजली में कन्वर्ट हो जाती है!

वोल्टेज को कैसे बढ़ाया जाता है?

अब सवाल यह उठता है कि इतने छोटे से पैनल से इतनी हाई वोल्टेज कैसे मिलती है? इसके लिए सोलर पैनल्स में कुछ ख़ास ट्रिक्स अपनाए जाते हैं:

  1. सीरीज कनेक्शन: सोलर सेल्स से निकलने वाली वोल्टेज सामान्यतः बहुत कम होती है, लगभग 0.5 वोल्ट प्रति सेल। कई सारे PV सेल्स को सीरीज में जोड़ा जाता है, जिससे वोल्टेज बढ़ जाता है। यह बिल्कुल वैसे ही काम करता है जैसे कई सारी बैटरीज को एक साथ जोड़ने से पावर बढ़ जाती है।
  2. इनवर्टर: सोलर पैनल्स से जो करंट निकलती है, वो DC (डायरेक्ट करंट) होती है। इसे घरों में इस्तेमाल करने लायक AC (अल्टरनेटिंग करंट) में बदलने के लिए इनवर्टर का इस्तेमाल किया जाता है। यह इनवर्टर न सिर्फ करंट को कन्वर्ट करता है, बल्कि वोल्टेज को भी बूस्ट करता है।
  3. ट्रांसफॉर्मर: कुछ सिस्टम्स में, इन्वर्टर के बाद एक ट्रांसफॉर्मर लगाया जाता है जो वोल्टेज को और भी ज्यादा बढ़ा देता है, ताकि वो घर के बड़े उपकरणों को आसानी से चला सके।
  4. MPPT तकनीक: मॉडर्न सोलर सिस्टम्स में Maximum Power Point Tracking (MPPT) तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। यह सिस्टम ये सुनिश्चित करता है कि पैनल्स हमेशा ऑप्टिमम एफिशिएंसी पर काम करें, चाहे वेदर कंडीशन्स कैसी भी हों।

लेटेस्ट इनोवेशन: सोलर टेक का भविष्य 

सोलर टेक्नोलॉजी में रोज नए-नए डेवलपमेंट्स हो रहे हैं। कुछ लेटेस्ट ट्रेंड्स पर नजर डालते हैं:

  1. पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स: यह नई जेनरेशन के सोलर सेल्स हैं जो सिलिकॉन से भी ज्यादा एफिशिएंट हो सकते हैं। साइंटिस्ट्स का कहना है कि इनसे सोलर पैनल्स की एफिशिएंसी 30% तक पहुंच सकती है!
  2. बायफेशियल सोलर पैनल्स: य ह स्मार्ट पैनल्स दोनों तरफ से लाइट कैप्चर कर सकते हैं। मतलब, ग्राउंड से रिफ्लेक्ट होने वाली लाइट भी वेस्ट नहीं जाएगी।
  3. फ्लोटिंग सोलर फार्म्स: जमीन की कमी को देखते हुए, अब बड़े-बड़े वाटर बॉडीज पर फ्लोटिंग सोलर फार्म्स बनाए जा रहे हैं। यह न सिर्फ स्पेस की प्रॉब्लम सॉल्व करते हैं, बल्कि पानी की वजह से कूलिंग भी बेहतर होती है।
  4. AI और IoT इंटीग्रेशन: स्मार्ट सोलर सिस्टम्स अब AI का इस्तेमाल करके अपनी एफिशिएंसी बढ़ा रहे हैं। ये सिस्टम्स वेदर फोरकास्ट के हिसाब से अपने आप को ऑप्टिमाइज कर लेते हैं।

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