राजस्थान के शाहपुरा में एक साधारण किसान की असाधारण कहानी आज पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। भारत में किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। ऐसे में शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत तिगरिया के निवासी, 10वीं पास 55 वर्षीय किसान मंगलचंद यादव ने एक नई दिशा में कदम बढ़ाया है। उन्होंने पीएम कुसुम कंपोनेंट-ए योजना के तहत सोलर प्लांट लगाकर अपनी और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है। आइए जानते हैं कैसे एक 10वीं पास किसान ने सोलर प्लांट लगाकर रोजगार का तरीका बदल दिया।
किसान से बने ऊर्जा उद्यमी: मंगलचंद यादव की प्रेरक कहानी
मंगलचंद यादव की कहानी एक साधारण किसान से असाधारण उद्यमी बनने की यात्रा है। मंगलचंद यादव ने बताया कि जब भूजल स्तर नीचे जाने लगा और कृषि में कठिनाइयाँ बढ़ीं, तो रोजगार की चिंता सताने लगी, तो उन्होंने एक साहसिक कदम उठाया। वर्ष 2019 में उन्होंने अखबार में पीएम कुसुम कंपोनेंट-ए योजना के बारे में पढ़ा और अपने बच्चों की मदद से YouTube से इसकी विस्तृत जानकारी हासिल की।
शुरुआत में मंगलचंद ने इसे महज 40-50 लाख रुपए की योजना समझकर आवेदन किया था। लेकिन जब वास्तविकता का पता चला तो वे संकट में पड़ गए। फिर भी, जिम्मेदार अधिकारियों के मार्गदर्शन ने उन्हें हिम्मत दी और उन्होंने 90 लाख रुपए का लोन लेकर अपने खेत में आधा मेगावाट (500kw) का सौर ऊर्जा प्लांट लगाने का फैसला किया।
सोलर प्लांट: भविष्य का बिजनेस
मंगलचंद के लिए सोलर प्लांट लगाना एक बड़ा जोखिम था। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर कुल 2.15 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसमें से 1.20 करोड़ रुपए का लोन 9% ब्याज दर पर लिया गया और बाकी 90 लाख रुपए की व्यवस्था उन्होंने खुद की।
यह निवेश उनके लिए बहुत बड़ा था, लेकिन परिणाम भी उतने ही शानदार रहे। आज मंगलचंद हर महीने औसतन 2200 यूनिट बिजली उत्पादन कर रहे हैं, जिसे वे 3.14 रुपए प्रति यूनिट की दर से डिस्कॉम को बेच रहे हैं। इस तरह वे सालाना लगभग 24 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं।
खेती के साथ बिजली उत्पादन
मंगलचंद की सफलता की एक खास बात यह है कि उन्होंने खेती और ऊर्जा उत्पादन को एक साथ संभव किया है। उनके पास कुल 6 हेक्टेयर जमीन है, जिसमें से एक हेक्टेयर (लगभग 4 बीघा) में उन्होंने सोलर प्लांट लगाया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे इस जमीन पर खेती नहीं कर सकते।
मंगलचंद ने बताया कि सोलर पैनल्स के बीच-बीच में वह लहसुन, प्याज, टमाटर, मिर्ची, मूंगफली जैसी दो फीट तक की फसलें उगा सकते हैं। इस तरह वे एक ही जमीन से दोहरा लाभ उठा रहे हैं – एक तरफ बिजली उत्पादन और दूसरी तरफ खेती।
पीएम कुसुम योजना: किसानों के लिए वरदान
मंगलचंद की सफलता का एक बड़ा श्रेय सरकार की पीएम कुसुम योजना को जाता है। यह योजना किसानों को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में प्रवेश करने का अवसर देती है। हालांकि मंगलचंद को इस योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पाया क्योंकि उन्होंने अपना प्लांट पुरानी स्कीम के तहत लगाया था।
वर्तमान में चल रही पीएम कुसुम कंपोनेंट-सी योजना के तहत किसानों को प्रति मेगावाट लागत की 30% सब्सिडी मिलती है। यदि मंगलचंद को यह सब्सिडी मिली होती तो उन्हें लगभग 1.05 करोड़ रुपए की अतिरिक्त बचत हो सकती थी। मंगलचंद की कहानी हमें सिखाती है कि नवाचार और साहस के साथ किसान न केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं, बल्कि देश के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
निष्कर्ष
अपनी खाली पड़ी जमीन पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली बेचकर लाखों में कमाना वास्तव में भविष्य का बिजनेस है। क्योंकि भविष्य में बिजली की डिमांड बढाती रहेगी। दूसरी और जैसे ही महीने भर में प्लांट बनकर तैयार हो जाता है तो आप दूसरे दिन से बिजली बेचना शुरू कर देते है और शुरू से ही अच्छी इनकम होने लगती है।
ऐसे में यदि आप सोलर प्लांट लगाने के लिए बैंक से लोन भी लेते है तो बिजली बेचकर दूसरे दिन से ही लोन चुकाना शुरू हो जाता है। और खास बात सोलर प्लांट लगाने के लिए कोई भी बैंक लोन आसानी से दे देता है क्योंकि उन्हें भी पता है की दूसरे दिन से ही लोन की किस्त जमा होने लगेगी। 4-5 सालों में पूरा लोन चुकाने के बाद आप लाइफ टाइम इस सोलर प्लांट से कमाई कर पाओगे।
यदि आपके पास भी खाली बंजर भूमि पड़ी है और भू जल स्तर निचे जाने से आप खेती नहीं कर पा रहे है तो आपके पास बिजली की खेती करने का मौका है। सोलर प्लांट लगाकर बिजली बेचकर कमाना ऐसा बिजनेस है जो भविष्य में कभी फ़ैल नहीं हो सकता है और आप बैठे बैठे लाखों में कमाई कर सकते है। इसके लिए आज ही आप पीएम कुसुम कंपोनेंट-सी योजना में अप्लाई कर सकते है जिसमें आपको 30% सब्सिडी भी मिल जाएगी।
यह भी पढ़े – 👉 फ्री सोलर रूफटॉप योजना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी