भारत में सोलर ऊर्जा की ओर कदम तेजी से बढ़ रहे हैं और अब देश को मिलने जा रहा है पहला सोलर एक्सप्रेस वे – बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे! उत्तर प्रदेश के 296 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस वे को सोलर एक्सप्रेस वे में तब्दील किया जा रहा है, जो चित्रकूट से इटावा तक फैला है और सात जिलों को जोड़ता है। आइए जानते हैं, कैसे यह एक्सप्रेसवे सिर्फ गाड़ियां चलाने के लिए ही नहीं, बल्कि हरित ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत भी बनेगा।
बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे: एक झलक
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का निर्माण उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) ने करवाया है। यह एक्सप्रेसवे चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा जिलों से होकर गुजरता है, जिसमें राज्य की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए दो इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी प्रस्तावित हैं। इस 296 किलोमीटर लंबे फोर-लेन एक्सप्रेस वे को भविष्य में छह लेन तक विस्तारित करने की योजना है।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर खास बात यह है कि इसके दोनों किनारों पर 15-20 मीटर चौड़ी पट्टी में सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जिससे लगभग 550 मेगावॉट की हरित ऊर्जा का उत्पादन होगा। इस परियोजना से एक लाख घरों को बिजली की आपूर्ति की जाएगी, जो पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा का एक बेहतरीन उदाहरण है।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की विशेषताएं | विवरण |
लम्बाई | 296 किलोमीटर |
जिलों की संख्या | 7 (चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया, इटावा) |
कुल लागत | ₹14,850 करोड़ |
पैनल लगाने का क्षेत्र | 15-20 मीटर चौड़ी पट्टी |
सोलर पावर उत्पादन | 550 मेगावॉट |
बिजली पहुंचाने वाले घरों की संख्या | 1 लाख |
औसत वार्षिक वर्षा | 800-900 मिमी |
ग्रीन एनर्जी का पथ प्रदर्शक
यह परियोजना उत्तर प्रदेश में हरित ऊर्जा के प्रति बढ़ते रुझान को दर्शाती है। इस प्रोजेक्ट में आठ सोलर पॉवर डेवलपर्स को चुना गया है, जिन्होंने इस विशाल प्रोजेक्ट को संभव बनाने के लिए अपना प्रेजेंटेशन पूरा कर लिया है। बुंदेलखंड क्षेत्र, जो प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है और जहां मौसम अधिकतर साफ और शुष्क रहता है, सोलर एनर्जी के लिए उपयुक्त माना गया है। इस एक्सप्रेसवे के पास भूमि उपलब्ध है, जो सोलर पैनल लगाने के लिए आदर्श है।
इस सोलर एक्सप्रेस वे परियोजना के माध्यम से सालाना करीब 6 करोड़ रुपये की ऊर्जा की बचत होगी। यह परियोजना न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभदायक साबित होगी, क्योंकि इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत विकसित किया जा रहा है।
औद्योगिक विकास का नया अध्याय
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर औद्योगिक विकास के लिए दो विशेष कॉरिडोर बनाने की योजना है। यह कॉरिडोर, जो जालौन और बांदा में स्थापित किए जाएंगे, क्षेत्र के उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी पैदा करेंगे। इस पहल से बुंदेलखंड का समग्र विकास होगा और स्थानीय लोगों को एक बेहतर जीवन स्तर प्राप्त होगा।
इस कॉरिडोर का संयोजन बुंदेलखंड के पहले से बन रहे डिफेंस कॉरिडोर से भिन्न है और यह नए रोजगार अवसरों की संभावना को भी बढ़ाएगा। यूपी सरकार ने इस परियोजना के लिए 3500 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।
सुरक्षा और सुविधा का खास ध्यान
बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे एक एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे है, जिसमें सुरक्षा के कई इंतजाम किए गए हैं। पूरे मार्ग पर पुलिस पेट्रोलिंग और एंबुलेंस सेवा हमेशा उपलब्ध रहेगी। इसके अलावा, यात्रियों की सुविधा के लिए इस एक्सप्रेस वे पर 18 ओवरब्रिज, 14 बड़े पुल, 6 टोल प्लाजा, 7 रैंप प्लाजा, 4 रेलवे ओवरब्रिज और 266 छोटे पुल बनाए गए हैं। इसके द्वारा चित्रकूट से इटावा के बीच यात्रा न केवल सुरक्षित होगी, बल्कि बेहद सुविधाजनक भी होगी।
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